💐 शहर और मजदूर💐
चला गांव से शहर गया रोजी रोटी कमाने
कभी कभी काम कभी कई दिन बैकार
रोजगार के अभाव में रहने लगा बिमार
जिदंगी कि कशमकश ने किया बैहाल
मजदूर को अपना दुख बताना बेकार
मदद नहीं लोग मजबूरी में फायदा उठाते
झुपड़पटी में रह लेते रूखी सुखी खा लेते
पर बेटियाँ बड़ी हो गई एक सयानी
उसके हाथ पिलै कि चिंता खायें रोज
कहीं से कोई मदद कि उम्मीद नहीं
NGOवाली मैडम ने पुछे हाल चाल
रूधै गले से बता दिया बिटिया सयानी होय
बैठीं कि शादी सामुहिक विवाह में कराई
शहर में सामाजिक कार्यकर्ता मैडमअच्छी
बाकी सब मतलबी यार देवा तेरा गांव अच्छा!!
लेखक:देवाराम बिश्नोई जोधपुर राजस्थान
वाट्सएप-8107174284
Email:devarambishnoi2929@gmail.com
चला गांव से शहर गया रोजी रोटी कमाने
कभी कभी काम कभी कई दिन बैकार
रोजगार के अभाव में रहने लगा बिमार
जिदंगी कि कशमकश ने किया बैहाल
मजदूर को अपना दुख बताना बेकार
मदद नहीं लोग मजबूरी में फायदा उठाते
झुपड़पटी में रह लेते रूखी सुखी खा लेते
पर बेटियाँ बड़ी हो गई एक सयानी
उसके हाथ पिलै कि चिंता खायें रोज
कहीं से कोई मदद कि उम्मीद नहीं
NGOवाली मैडम ने पुछे हाल चाल
रूधै गले से बता दिया बिटिया सयानी होय
बैठीं कि शादी सामुहिक विवाह में कराई
शहर में सामाजिक कार्यकर्ता मैडमअच्छी
बाकी सब मतलबी यार देवा तेरा गांव अच्छा!!
लेखक:देवाराम बिश्नोई जोधपुर राजस्थान
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