💐 शहर और मजदूर💐 चला गांव से शहर गया रोजी रोटी कमाने कभी कभी काम कभी कई दिन बैकार रोजगार के अभाव में रहने लगा बिमार जिदंगी कि कशमकश ने किया बैहाल मजदूर को अपना दुख बताना बेकार मदद नहीं लोग मजबूरी में फायदा उठाते झुपड़पटी में रह लेते रूखी सुखी खा लेते पर बेटियाँ ...